उपन्यास >> रामगढ़ में हत्या रामगढ़ में हत्याविभूति नारायण राय
|
0 5 पाठक हैं |
"प्रेम, गलत पहचान और हत्या : 'रामगढ़ में हत्या' में रहस्य का खुलासा।"
“विभूति नारायण राय हिन्दी के एक ऐसे उपन्यासकार हैं जिनका लेखन भाषा, शिल्प और कथ्य के स्तर पर भिन्न तो होता ही है, एक विशिष्ट ऊँचाई भी लिये हुए होता है। यही कारण है कि इनकी हर कृति में पाठक को एक नये आस्वाद से परिचय होता है; और इस बात की एक सशक्त मिसाल पेश करता है उनका यह नया उपन्यास ‘रामगढ़ में हत्या’।
यह जासूसी रंग में रँगा ऐसा उपन्यास है जो पाठकीय कौतुकता में ऐसी गहराई लिये चलता है कि पढ़ने वाला संवेदनात्मक संरचना में इस तरह बँध जाता है कि घटनाओं की प्रक्रियाओं की सनसनाहट से चाहकर भी मुक्त होना उसके लिए सम्भव नहीं हो पाता। इस उपन्यास के मूल में प्रेम है। प्रेम जिसमें एक व्यक्ति की हत्या होती है लेकिन जिसकी हत्या होती है, वह प्रेम का हिस्सा नहीं है। वह एक नौकरानी है, जिसकी ग़लती से हत्या हो जाती है यानी जिसे मारना लक्ष्य था, वह नहीं मारा जाता बल्कि वह मारा जाता है जिसका इस प्रेम-कथा से कोई सम्बन्ध नहीं। इसी की गहन पड़ताल में अनेक आयामों से उलझती-सुलझती हुई गुज़रती है यह कृति।”
|